इस ₹22 वाले Penny Stock की थमी रफ़्तार! इस वजह से अचानक आ गयी तगड़ी गिरावट

Penny Stock : 17 अक्टूबर को Yes Bank के शेयरों में करीब चार फीसदी की तेज गिरावट आई। सुबह जब बाजार खुला तो शेयर लगभग 23 रुपये से थोड़ा ऊपर थे, लेकिन कुछ ही घंटों में भारी बिकवाली देखी गई। निवेशकों ने शेयर बेचना शुरू कर दिया, जिससे कीमत नीचे चली गई। कारोबार के समय शेयर पर दबाव इतना ज्यादा था कि एक वक्त वह 22 रुपये के आसपास तक गिर गया। दिनभर गिरावट बनी रही और आखिर में शेयर लगभग 22.34 रुपये पर जाकर बंद हुआ। जो लोग शेयर में फायदा देख रहे थे, उन्हें अचानक नुकसान का सामना करना पड़ा।

गिरावट की असली वजह

शेयर में यह गिरावट किसी आर्थिक गलती या बैंक की खराब स्थिति की वजह से नहीं थी। इसकी सबसे बड़ी वजह जापान की सिमीटोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन यानी SMBC का बयान था। एसएमबीसी, जो यस बैंक का सबसे बड़ा विदेशी निवेशक माना जाता है, उसने साफ कहा कि वह अभी अपनी हिस्सेदारी नहीं बढ़ाएगा। उसकी हिस्सेदारी पहले से ही 24.99 फीसदी तक है और वह इसे आगे बढ़ाने की योजना नहीं बना रहा है। यह खबर आते ही बाजार में निराशा फैल गई क्योंकि लोग उम्मीद कर रहे थे कि एसएमबीसी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर बैंक पर और भरोसा जताएगा।

SMBC का बयान और असर

एसएमबीसी के इंडिया हेड राजीव कानन ने बताया कि ग्रुप का मकसद अब बैंक में एग्जिक्यूटिव रोल निभाने का नहीं बल्कि उसे बेहतर दिशा देने का है। उन्होंने ये भी जोड़ा कि हिस्सेदारी की जो सीमा तय है, वह नियामक यानी रेगुलेटर ने तय की है। इसलिए कंपनी उसी सीमा में रहकर काम करेगी। उनके इस बयान से निवेशकों को लगा कि अब नए निवेश की संभावना कम है, जिससे शेयर की मांग घट गई और दाम नीचे आ गए।

यस बैंक का शेयर प्रदर्शन

पिछले कुछ महीनों में यस बैंक के शेयरों ने अच्छा प्रदर्शन किया था। छह महीनों में शेयरों ने 23 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की थी। इसका कारण बैंक की फाइनेंशियल पोजीशन में सुधार और निवेशकों का भरोसा था। अगस्त में आरबीआई ने एसएमबीसी को 24.99 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी दी थी, जिससे मार्केट में पॉजिटिव माहौल बना था। मई में इसी डील को लेकर 1.6 अरब डॉलर का समझौता हुआ था, जो भारत के वित्तीय क्षेत्र में विदेशी निवेश की एक बड़ी डील मानी गई थी। लेकिन अब निवेश बढ़त की जगह स्थिरता की दिशा में जा रहा है।

निवेशक के लिए जानकारी

बाजार में यह उम्मीद थी कि एसएमबीसी अपनी हिस्सेदारी 25 फीसदी से ऊपर बढ़ाएगा और ओपन ऑफर देगा। सेबी के नियम के अनुसार, अगर कोई कंपनी किसी दूसरी कंपनी में 25 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी लेती है, तो उसे बाकी शेयरधारकों के लिए ओपन ऑफर देना पड़ता है। इसका मतलब है कि फिर उसे अतिरिक्त 26 फीसदी शेयर खरीदने का मौका मिल सकता है, जिससे कुल स्वामित्व लगभग 51 फीसदी तक पहुंच जाता है। निवेशकों को यही उम्मीद थी और इसी वजह से शेयर पहले तेजी में थे। लेकिन जब एसएमबीसी ने साफ किया कि ऐसा नहीं होगा, तो बाजार ने तुरंत नकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

Disclaimer: यह आर्टिकल केवल शैक्षिक उद्देश्य और जनरल इनफार्मेशन के लिए लिखा गया है इसे निवेश सलाह ना समझे और कोई भी निवेश सम्बंधित निर्णय लेने से पहले वित्तीय सलाहकार से सलाह करें।

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